शासन प्रशासन के तमाम प्रयास के बावजूद जिले में संकट बरकरार, 30 हजार से अधिक बच्चे हैं कुपोषित
अंबेडकरनगर। शासन प्रशासन के तमाम प्रयास के बावजूद जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या घटने का नाम नहीं ले रही है। मौजूदा समय में जिले में 30 हजार 745 बच्चे कुपोषित हैं। इसके अलावा 2796 बच्चे ऐसे हैं, जो अतिकुपोषित श्रेणी में हैं। जिले में 2 लाख 52 हजार 19 बच्चे हैं। शासन द्वारा कुपोषण मुक्त अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत शून्य से 6 वर्ष तक के बच्चों का समय समय पर स्वास्थ्य परीक्षण करने व उन्हें जरूरत के अनुसार पौष्टिक तत्व उपलब्ध कराने का निर्देश है। अतिकुपोषित बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की भी व्यवस्था है। इसके बावजूद बच्चों से कुपोषण दूर करना बड़ी चुनौती बनी हुई है।
बताते चलें कि शासन द्वारा बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए कुपोषण मुक्त अभियान चलाया जा रहा है। बाल विकास विभाग द्वारा सरकार की इस योजना का क्रियान्वयन जिले के 2551 आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से हो रहा है। सभी आंगनबाड़ी व सुपरवाइजर को निर्देश है कि वह अपने अपने ग्राम पंचायतों में समय समय पर भ्रमण कर 6 वर्ष तक के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करें।
इसके बाद उन्हें आवश्यकतानुसार पौष्टिक तत्व मुहैया कराएं। पहले शासन द्वारा कुपोषित बच्चों को पुष्टाहार दिया जाता था परंतु अब सरकार ने नए निर्देश में पुष्टाहार के स्थान पर कच्चे खाद्यान्न उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। प्रत्येक चिह्नित कुपोषित बच्चे को डेढ़ किलो गेहूं व एक किलो चावल देने का निर्देश है। अतिकुपोषित बच्चे को ढाई किलो गेहूं व डेढ़ किलो चावल दिया जाता है। करीब दो माह से इस योजना का संचालन हो रहा है। इसके बावजूद जिले में कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों की संख्या नहीं घट रही है।
विभागीय आंकड़े के अनुसार जिले में शून्य से 6 वर्ष तक के कुल बच्चों की संख्या 2 लाख 52 हजार 19 है। इसमें से 30 हजार 745 बच्चे कुपोषित हैं। इसके अलावा 2 हजार 796 बच्चे ऐसे हैं, जो अतिकुपोषित की श्रेणी में शामिल हैं। ऐसे में शासन प्रशासन के तमाम प्रयास के बावजूद जिला कुपोषण मुक्त नही हो पा रहा है।
बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए शासन प्रशासन के सभी निर्देशों का पूरी गंभीरता से पालन किया जा रहा है। कोरोना काल में भी विशेष अभियान चलाकर कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों को सरकार की योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है।