तहसीलदार सदर की गाड़ी का पंजीकरण भी हो चुका है समाप्त परिवहन विभाग को भी नही दिख रही हकीकत


अंबेडकरनगर, । दूसरों को नियम कानून का पाठ पढ़ाने वाले साहब खुद ही डग्गामारी पर उतारू हैं। न फिटनेस, न बीमा फिर भी मजिस्ट्रेट स्तर के यह अधिकारी लगातार उसी वाहन से फर्राटा भर रहे हैं। यही नहीं, सड़क पर चलने के लिए अनाधिकृत हो चुके इसी वाहन पर प्रति माह हजारों रूपये का तेल भी निकल रहा है। हैरत इस बात की है कि जिस विभाग की यह गाड़ी है अब उसे भी उसकी याद नही आ रही। जिले में एक दस सीटर वाहन है जिसका पंजीकरण नम्बर है यूपी 45 बी 0248 । मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय का यह वाहन दस दिसम्बर 2003 को पंजीकृत है। इस गाड़ी का अंतिम फिटनेस नौ दिसम्बर 2005 को समाप्त हुआ है। उसके बाद से इस गाड़ी का न तो फिटनेस कराया गया और न ही बीमा ही कराया गया। नियमानुसार क्रय की गई तिथि के 15 साल बाद इस प्रकार की गाड़ी का पंजीकरण भी स्वतः समाप्त हो जाता है। ऐसे में वर्ष 2018 में इसका पंजीकरण भी समाप्त हो चुका है। यह वाहन लम्बे समय से अकबरपुर तहसील के तहसीलदार की सेवा में लगा हुआ है। साहब इस पर सवारी तो करते हैं पर उन्हें गाड़ी की स्थिति के बारे में जानने की कोई आवश्यकता महसूस नही होती। नियमानुसार दस सीटर गाड़ी का फिटनेस पहली बार में दो साल के लिए होता है उसके बाद प्रति वर्ष उसका फिटनेस कराना पड़ता है लेकिन इस गाड़ी का तो क्रय किये जाने के बाद कभी फिटनेस ही नही कराया गया । ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि यह गाड़ी किसकी कृपा से सड़कों पर फर्राटा भर रही है। इस गाड़ी पर तेल किन नियमों के तहत निकाला जा रहा है । साथ ही इस पर अन्य खर्चें कैसे किये जा रहे हैं। परिवहन विभाग भी इस प्रकरण पर मौन है। इस सम्बन्ध में पीटीओ विवेक सिंह का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नही थी वह इसे गम्भीरता से देखेंगे।